03 अक्तूबर, 2015

दूरियाँ.....


हम दोनों के बीच की दूरियाँ सिर्फ कुछ कदमो की थी।
लेकिन ये कुछ कदम हम उम्र भर तय नही कर पाये।
प्यार ना तुम्हारा कम था ना मेरी वफ़ा में कोई कमी थी।
फिर भी ना जाने क्यों हम एक हो कर भी एक दूसरे से अलग ही रहे।
रेल की पटरियों की तरह साथ रहे और मिल कर भी ना मिले। 
आज सोचती हूँ कि उस वक़्त ऐसा क्या हुआ जो तुमने पलट कर भी नही देखा, 
तुमने फिर कभी मेरी सुध नही ली।
आखिर एक लम्हे में मैंने ऐसा क्या कर दिया जो हम जिंदिगी भर के लिए बेगानें होगये।
        लोगो से सुनती हूँ कि ऊपरवाला जो करता है अच्छे के लिए ही करता है।
ही मान कर मैंने अपनी जिंदिगी की गाडी आगे ले ली।
 तुम किस रह गए मुझे इसकी ख़बर नही लेकिन इतना जरूर जानती हूँ कि तुम्हारी जिंदिगी से मैं हमेशा के लिए जा चुकी हूँ।अजीब बात है, तुम किस बात पर खफ़ा हुए मुझे वह बात पता भी नही और उम्रभर की दूरियां बना दी तुमने।

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