14 फ़रवरी, 2010

प्यार के साइड इफेक्ट

प्यार करना जुर्म है तो यह जुर्म हमसे होगया,काबिले माफी हुआ करते नहीं एसे गुनाह...रेशमी कपड़ो पर पेबंद सा लगने वाला यह इश्क समाज में अच्छे खासे इन्सान को मजनू या रोमीओ बना देता है। हम सभी प्यार करते है लेकिन 'लोग क्या कहेगे' सोच कर अपनी जुबा पर ताला lगा लेते है। आज तो लोगो को भगवान से ज्यादा शिव सेना का डर है. धर्मके रखवालो का मानाहै कि "आई लव यू " कहने का चलन पश्चमी सभ्यता कि वजह से है और प्यार में बेकाकीपनभी वही की देन है। मेरा उनसे एक सवाल है कि हमारी संकृति की धरोहर कही जाने वाली अजंता और एलोरा की गुफाये भी क्या २१वी सदी की देन है? जीवन के ९ रसो में एक रस है प्रेम का...और पूरी दुनिया आज इस से मुह फेर रही है। क्यों लोग भूल जाते है की यह जिंदिगी प्यार करने के लिए भी कम पड़ती है।

12 फ़रवरी, 2010

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कई दिनों बाद आज अपने ब्लॉग पर लिख रही हु। मुझे लिखना पसंद था, लेकिन पिछले कुछ समय से मैं वोह कोई कम नहीं कर रही थी जो मुझे अच्छा लगता हो। समाज की परवाह न करने वाली लड़की बदल गयी.