19 मार्च, 2011

kabhi kabhi jeet hi sab kuch hai

जिंदिगी में सिर्फ जीत ही जरुरी नहीं होती.परन्तु  कभी-कभी जिंदिगी में जीत ही सब कुछ बन जाती है. मेरे लिए अभी जीत ही सब कुछ है....अपनी जिंदिगी में मैंने कभी रुक कर जीत का इन्तिज़ार नहीं किया, वोह नहीं मिली तो हार के साथ ही आगे बढ़ गयी. लेकिन आज मुझे खुद से लड़ना है ...उन सपनो को पूरा करना है जिन्हें देखने की भी  हिम्मंत ये आँखे नहीं कर पाई. मुझे उम्मीद है की मेरे सपने हकीकत बनेगाये. क्योंकि सुना है कि क्षितिज पर जीमन-आसमान का मिल होटा है.