28 जुलाई, 2010

अगर देखनी हो मेरी उड़ान...

अगर देखनी हो मेरी उड़ान,
तो आसमां को और ऊँचा कर दो
जो पंख मैं फैलाऊ तो इस जहाँ को और बड़ा कर दो।
अपनी परछाई कि साथी हूँ, अपनी ही दुनिया में जीती हूँ
कौन हूँ मैं, क्या हूँ मैं
मैं तुम्हे क्यों बताऊ
जो तुम देखना चाहो वजूद मेरा
पहले दिल अपना साफ़ कर के देख लो
अगर देखनी हो मेरी उड़ान
तो आसमां को और थोडा ऊँचा कर दो।

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