17 मार्च, 2009

लोग क्यों लिखते है? मुझे इस बात से जयादा फर्क़ नही पड़ता। पर मेरे लिए लिखना उतना ही जरूरी है जितना सास लेना। मेरे जीवन में लिखना क्या है और इसकी एहमियत क्या है यह शायद ही कोई जान पायेगा। पर जब कुछ ठीक नही होता है तो मैं अपनी कलम के साथ रहना ज्यादा पसंद करती हू।

चुनाव के वक्त फिजा में चुनावी महक घुल जाती है। ऐसे में ब्लोग्ग बनाने का आइडिया आया । सोचा की बोर होने से अच्छा है कुछ क्रियेटिव किया जाए । क्यों कि जब एल.के अडवानी अपनी ब्लोग्ग से छाए हुए है तो मैं भी कम से कम अपनी ब्लोग्ग तो बना ही सकती हू । चलो इस चुनाव से एक फायेदा तो मुझे हुआ ही ...

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